Sunday, December 22, 2013

Tech It Easy: अब भूल जाओ पेन ड्राइव!

बालकृष्ण
बालकृष्ण
कितने दिन हुए इस बात को, जब आपके दोस्त ने वायदा किया था कि वो आपके पसंदीदा गानों का कलेक्शन, आपको पेन ड्राइव में लाकर देगा? कुछ यही हाल उन फोटो का भी हुआ जो आपके दोस्त के कैमरे में ही कैद रह गयीं. न पेन-ड्राइव आया, न गाने मिले, न फोटो! ईमेल पर इक्का-दुक्का फोटो तो उसने भेजी भी थीं शायद, पर जाने वो कहां गयीं. आखिर, ईमेल की अटैचमेंट्स कौन संभाल कर रख पाता है.पेन ड्राइव है झंझट का नाम
इस कमबख्त 'पेन ड्राइव' के साथ यही मुसीबत है. लोग अकसर वायदा करके लाना भूल जाते हैं. या फिर, भूल जाने का बहाना कर देते हैं. क्योंकि पेन ड्राइव जो लेता है, वो लौटाना भूल जाता है. जिस पेन ड्राइव को आप बहुत संभाल कर रखते हैं, वो जाने कैसे गुम हो जाता है. जो गुम नहीं होता, वो पता नहीं कहां छिप जाता है कि मौके पर मिलता ही नहीं! लेकिन सबसे ज्यादा गुस्सा तब आता है जब आप देखते हैं पेन ड्राइव के भीतर सहेज कर रखी गयी ज़रूरी फाइल, ऐन वक्त पर खुलने से ही इनकार कर देती है. जब आप कोशिश कर के हार जाते हैं तब पता चलता है कि फाइल 'करप्ट' हो चुकी है - यानी फाइल इस तरह खराब हुई है कि अब हमेशा के लिए गयी.
गानों के साथ वायरस मुफ्त
ये तो आपको पता ही है कि पेन ड्राइव, कंप्यूटर में वायरस फैलाने का सबसे बड़ा ज़रिया है. दोस्त का पेन ड्राइव आपने लैपटॉप में लगाया नहीं कि गानों और फोटो के साथ वायरस मुफ्त में मिल गए. अब करते रहो एंटी-वायइस से छानबीन. अगर आप किसी भारी सुरक्षा वाली सरकारी बिल्डिंग में गए होंगे तो आपको पता ही होगा कि गेट पर सुरक्षा जांच के समय बैग में पड़ा पेन ड्राइव कितनी बड़ी मुसीबत बन जाता है.
कितनी बार आपके मन में आया होगा कि कोई ऐसा तरीका होता की बड़ी फाइल्स भी किसी को एक बार में ही, उसी तरह पल भर में भेज पाते, जैसे ईमेल भेजते हैं. कोई ऐसा तरीका, जिससे पेन ड्राइव, मेमोरी कार्ड, लेने-देने का चक्कर ही खत्म हो जाए. न वाइरस का खतरा हो, न गुम होने का डर और न ही फाइल करप्ट होने की टेंशन.
जरूरी फाइलों का बैकअप, डेटा की सिक्योरिटी
Cloud storage (क्लाउड स्टोरेज) का इस्तेमाल करके आप बड़ी से बड़ी फाइल, बिना अटैचमेंट वाली ईमेल की तरह किसी को आसानी से भेज सकते हैं. यही नहीं, आपकी फाइल भी हमेशा के लिए सुरक्षित हो जाती है- उसकी एक बेहद भरोसेमंद बैक-अप कॉपी तैयार हो जाती है. इसके बाद आपका पेन ड्राइव, मेमोरी कार्ड तो क्या, पूरा फोन, कंप्यूटर भी गुम हो जाए, खराब हो जाए, अचानक फॉरमेट-रीसेट करना पड़े, तब भी आपका data (डेटा) कहीं नहीं जाएगा. फोटो, गाने, डाक्यूमेंट्स, वीडियो क्लिप्स - सब के सब, कुछ कुछ ही मिनटों में, फिर से आपके सामने होंगे. आपका डेटा 'क्लाउड' में होने का ये भी मतलब है कि आप इंटरनेट से क्नेक्टेड किसी भी कंपयूटर या मोबाइल पर लॉग इन करके अपनी फाइल पा सकते हैं. कोई जरूरत नहीं कि हर जगह अपना लैपटाप साथ ले जाएं.
ईमेल से भी आसान
क्लाउड स्टोरज का नाम तो ज्यादातर लोगों ने सुना है, पर जाने क्यों, रात दिन ईमेल पर जीने वाले भी बहुत से लोग इसका इस्तेमाल नहीं करते. क्लाउड स्टोरेज का मतलब है कि आपका डेटा, आपकी फाइल, आपके फोन और कंप्यूटर के अलावा किसी दूसरी जगह, किसी कंपनी के कंप्यूटर पर भी मौजूद रहता है, आपके यूजर नेम और पासवर्ड के साथ. इसे रिमोट सर्वर भी कहते हैं. आप जब चाहें, इंटरनेट की मदद से रिमोट सर्वर पर मौजूद अपने डेटा को हासिल कर सकते हैं, उसमें कोई बदलाव कर सकते हैं, किसी के साथ उसे शेयर कर सकते हैं या फिर उसे हमेशा के लिए डिलीट कर सकते हैं. ठीक उसी तरह जैसे आप किसी भी कंप्यूटर पर लॉग इन करके अपना मेल चेक करते हैं.
मु्फ्त है ये सर्विस
ईमेल की तरह ही, तमाम कंपनियां कुछ सीमा तक क्लाउड स्टोरेज की सुविधा मुफ्त देती हैं. अगर आपको ज्यादा डेटा रखना है तो सलाना कुछ फीस देकर आप जितनी चाहे स्पेस खरीद सकते हैं. लेकिन मुफ्त में भी क्लाउड स्टोरेज पर आप इतनी जगह हासिल कर सकते हैं कि आप अपने जरूरी कागजात, म्यूजिक कलेक्शन, बहुत सी फोटो संभाल कर रख सकते हैं. क्लाउड स्टोरेज पर रखी हुई किसी भी फाइल को शेयर करने के लिए न तो पेन ड्राइव की जरूरत है, न ही मेमोरी कार्ड की. पेन ड्राइव लेने देने का झंझट ही खत्म और आपका डाटा का एक बैकअप भी आपके पास हर वक्त तैयार. किसी भी कंप्यूटर पर अपनी तमाम फोटो, जब चाहे देखो. कभी भी, अपने चुनिंदा गानों के कलेक्शन का आनंद लो.
बस इतना ध्यान रहे
लेकिन क्लाउड स्टोरज का और गुणगान करने से पहले हम आपको इसकी कुछ कमियों के बारे में भी बता दें. ये तो आप समझ ही सकते हैं कि क्लाउड स्टोरेज पर रखी गयी किसी चीज को किसी दूसरे कंपयूटर या मोबाइल पर हासिल करने के लिए इंटरनेट का कनेक्शन होना जरूरी है. इसके बगैर आप अपने फोन या कंपयूटर पर तो उसे देख सकते हैं लेकिन किसी को भेज नहीं सकते. इंटरनेट अगर धीमा है तो बड़ी फाइल (खास तौर पर वीडियो) को अपलोड करना और डाउनलोड करना दोनों बेहद बोरिंग हो जाता है. और ये बात भी आपको याद रखनी होगी कि बड़ी फाइल्स को क्लाउड पर अपलोड करना और डाउनलोड करना इंटरनेट का बिल बढ़ाता है. लेकिन अगर आपके पास तेज स्पीड वाला इंटरनेट कनेक्शन है (जैसे वाई-फाई या 3 जी), और आप अनलिमिटेड डाटा प्लान इस्तेमाल कर रहे हैं तो आप दिल खोल कर क्लाउड सर्विस का मज़ा ले सकते हैं.
दूसरी गांठ बांध लेने की बात ये ही कि कोई भी कंपनी, कुछ भी दावा करे - सच्चाई ये है कि जो कुछ भी इंटरनेट पर डाला गया है वो सबकुछ हैक हो सकता है - यानी गलत लोगों के हाथ में पहुंच सकता है. इसलिए कभी भी, बेहद गोपनिय चीजें - जैसे बैंक डिटेल्स, क्रेडिट कार्ड, पासवर्ड और बेहद निजी फोटो, वीडियो - इंटरनेट पर नहीं डालें. अगर कोई चीज बेहद जरूरी है, तो उसका एक और बैकअप किसी और जगह जरूर रखें.
जो चाहो वो चुनो
क्लाउड स्टोरेज का इस्तेमाल करना बेहद आसान है. Dropbox (ड्रापबॉक्स), Google Drive (गूगल ड्राइव), Sky Drive (स्काई ड्राइव), Sugar Sync (शुगरसिंक), Box (बॉक्स) जैसी तमाम सर्विस में से अपनी पसंद की कोई भी क्लाउड सर्विस चुनें. सिर्फ एक बार, जो भी क्लाउड स्टोरेज सर्विस आप इस्तेमाल करना चाहें, उसका छोटा सॉफ्टवेयर अपने कंपयूटर या फोन में डाउनलोड कर लें. कौन सी क्लाउड सर्विस सबसे अच्छी है इस बहस में ज्यादा पड़ने की जरूरत नहीं है. सबकी अपनी खूबियां और कमियां हैं. और किसी ने आप पर ये पाबंदी तो लगाई नहीं कि आप सिर्फ एक ही क्लाउड सर्विस इस्तेमाल कर सकते हैं. आप चाहें तो, एक साथ कई क्लाउड सर्विस का इस्तेमाल अलग अलग चीजों के लिए कर सकते हैं. जैसे मैं ड्रापबॉक्स में अपना म्यूजि़क का कलेक्शन रखता हूं, गूगल ड्राइव में फोटो का बैकअप रखता हूं और स्काई ड्राइव में अपने वीडियो क्लिप्स.
लेकिन शुरूआत आप Dropbox (ड्रॉपबॉक्स) या Google Drive (गूगल ड्राइव) से कर सकते हैं जो बेहद लोकप्रिय और भरोसेमंद हैं.
Dropbox (ड्रॉपबॉक्स) पाने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें.
https://www.dropbox.com/downloading?src=index
Google Drive (गूगल ड्राइव) पाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें.
https://tools.google.com/dlpage/drive
बस दो मिनट चाहिए
अब अपना एक यूज़र नेम और पासवर्ड बना लें. बस, हो गया आपका काम. आपके कंपयूटर पर अब ड्रॉपबॉक्स या गूगल ड्राइव का एक आइकन बन गया होगा. सुविधा के लिए इस आइकन को डेस्कटॉप पर, यानी नजर के सामने रखें. जिस भी फाइल को आप शेयर करना चाहते हैं उसको बस उठा कर इसके भीतर डाल दें - कॉपी करके या कट - पेस्ट करके. आपकी फाइल के साइज और आपके इंटरनेट की स्पीड के मुताबिक कुछ मिनटों में ये फाइल सिंक हो जाएगी - यानी ये फाइल अब क्लाउड पर चली गयी. कहने का मतलब ये की अब आपके इस फाइल की एक कॉपी ड्रॉपबॉक्स के सर्वर पर भी बन गयी है.
एक बार आपकी फाइल रिमोट सर्वर पर, यानी ड्रापबॉक्स पर अपलोड हो गयी तो उसको शेयर करना बांए हाथ का खेल है. अब आप उसे पूरी फाइल नहीं, सिर्फ एक लिंक भेजेंगे. और जिसके पास ये लिंक है, वो सीधे ड्रॉपबॉक्स के कंपयूटर से इसे डाउनलोड कर लेगा. है न आसान तरीका ? अगर आप चाहें तो किसी दूसरे आदमी को ये अधिकार भी दे सकते हैं कि आपकी फाइल में कोई बदलाव कर सके, उसमें कुछ जोड़ सके, या हटा सके. जैसे आप कोई प्रोजेक्ट बना रहे हैं और उस पर सलाह लेने के लिए अपने दोस्त या टीचर को दिखाना चाहते हैं.
अब चुटकी में करो कुछ भी शेयर
इसी तरह, अगर आप, दोस्तों के साथ मिलकर गानों का एक कलेक्शन बनाना चाहते हैं तो अपने म्यूजिक फोल्डर को ड्रॉपबॉक्स में डाल दें . फिर dropbox.com पर जाएं जो आपको ड्रॉपबॉक्स के फोल्डर के भीतर ही दिख जाएगा. dropbox.com पर जाते ही आपको अपने सभी फोल्डर दिखेंगें . जिस फोल्डर को शेयर करना चाहते हैं, उस पर right click करें. आपको तमाम ऑपशन्स दिखेंगें. अगर आप Invite to folder का ऑपशन् चुन कर दोस्तों के साथ शेयर करेंगें, तो वो इसमें बदलाव भी कर सकते हैं . अगर आप सिर्फ share link करेंगें तो आपके दोस्त उस फाइल को डाउनलोड तो कर सकते हैं, लेकिन उसमें कुछ बदलाव नहीं कर सकते. फोल्डर पर right click करने पर आपको जो और ऑपशन दिखतें हैं, उसका इस्तेमाल अपनी जरूरत के हिसाब से कर सकते हैं.
जहां चाहो वहां पाओ अपना Data
क्लाउड सर्विस को इस्तेमाल करने का मजा तब और बढ जाता है जब आपकी हर फाइल, हर फोटो, म्यूजिक - उन तमाम कंपयूटर, फोन, टैबलेट पर पर मौजूद रहे जो आप रोज इस्तेमाल करते हैं . इसके लिए ड्रॉपबॉक्स (या गूगल ड्राइव, या जो भी क्लाउड सर्विस आप इस्तेमाल कर रहें हों ) को हर डिवाइस पर डाउनलोड कर लें. लेकिन लॉग इन करने के लिए अपना वही यूजरनेम और पासवर्ड इस्तेमाल करें जो आपने पहली बार बनाया था. अब आपके काम की हर फाइल, हर जगह मौजूद है. आप अगर किसी फाइल में कुछ बदलाव करते हैं - तो वो दूसरी जगह खुद ब खुद बदला हुआ दिखेगा.
तो हो गयी न पेन ड्राइव की छुट्टी ? पेन ड्राइव का इस्तेमाल अब तभी करें जब जो फाइल आप भेजना चाहते हैं वो बहुत बड़ी हो - जैसे पूरी की की पूरी फिल्म. क्योंकि बहुत बड़ी फाइल को क्लाउड पर डालने में समय ज्यादा लगेगा और इंटरनेट मुफ्त या अनलिमिटेड प्लान नहीं है तो आपका बिल ज्यादा बढ़ सकता है. लेकिन जिसके साथ फाइल शेयर करनी हो वो अगर वो अगर किसी दूसरे शहर में रहता है तब क्या करेंगें ?
पसंद आपकी है, चाहें तो फाइल को पेन ड्राइव में डाल कर कूरियर से भेजें या फिर क्लाउड सर्विस की शरण में आएं.

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